पीले पीले सरसों फूल मुस्काये
पीले पीले सरसों फूल मुस्काये ,
संग हवा लहर-लहर, लहराये ၊
धरती की हुई चूनर धानी ,
खिल उठी है हर इक डाली ၊
तन-मन में जो उठा है उमंग ,
देखो झूम कर आया बंसत ၊
कोमल कली खिली मधुवन ,
सूरज भी गुलाबी धूप लगाये ၊
पीले पीले.....
प्रकृति का यौवन जो निखरे ,
खुशियों का अमृत है बिखरे ၊
धरती सजी दुल्हन सी अब ,
मधुर मिलन की आस लगाये ၊
बागों-बागों कोयल सी बोली ,
मन में एक नव उत्साह जगाये ၊
पीले पीले सरसों फूल मुस्काये ၊
फूलों संग तितलियां रास रचाये ,
उड़ी पतंगे आकाश में उड़ती जाये ၊
मचल- मचल बच्चे उछल-कूद लगाये ,
मद मस्त हो देखो मोरनी नृत्य दिखाये ၊
पीले पीले सरसों फूल मुस्काये ၊
चारों ओर दिखे बंसत ही बंसत ,
प्रकृति ने रंग दिया प्रेम का रंग ၊
रोम-रोम में बजे जैसे मृदंग ,
आओ नाचें गायें हो के संग ၊
प्रीत की खुशबू से जग महकाय ,
पीले पीले सरसों फूल मुस्काये ၊
रचयिता
वन्दना यादव " गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक ,
डोभी , जौनपुर।
संग हवा लहर-लहर, लहराये ၊
धरती की हुई चूनर धानी ,
खिल उठी है हर इक डाली ၊
तन-मन में जो उठा है उमंग ,
देखो झूम कर आया बंसत ၊
कोमल कली खिली मधुवन ,
सूरज भी गुलाबी धूप लगाये ၊
पीले पीले.....
प्रकृति का यौवन जो निखरे ,
खुशियों का अमृत है बिखरे ၊
धरती सजी दुल्हन सी अब ,
मधुर मिलन की आस लगाये ၊
बागों-बागों कोयल सी बोली ,
मन में एक नव उत्साह जगाये ၊
पीले पीले सरसों फूल मुस्काये ၊
फूलों संग तितलियां रास रचाये ,
उड़ी पतंगे आकाश में उड़ती जाये ၊
मचल- मचल बच्चे उछल-कूद लगाये ,
मद मस्त हो देखो मोरनी नृत्य दिखाये ၊
पीले पीले सरसों फूल मुस्काये ၊
चारों ओर दिखे बंसत ही बंसत ,
प्रकृति ने रंग दिया प्रेम का रंग ၊
रोम-रोम में बजे जैसे मृदंग ,
आओ नाचें गायें हो के संग ၊
प्रीत की खुशबू से जग महकाय ,
पीले पीले सरसों फूल मुस्काये ၊
रचयिता
वन्दना यादव " गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक ,
डोभी , जौनपुर।
Comments
Post a Comment