नन्हें मुन्हे बच्चे


            नन्हें मुन्हे बच्चे
 हम बच्चे हैं नन्हें मुन्हे,
         सब के मन को भाते हैं।
 माँ की हैं आँखों के तारे,
          सबको खूब लुभाते है
 नित्य व्यायाम करते हैं,
          मलकर खूब नहाते हैं।
 मात-पिता के पैर को छूकर,
          रोज विद्यालय जाते हैं।
 विद्यालय में हमारी मैडम ,
           हमको खूब पढ़ाती हैं।
 गीत, कहानी और चुटकुले,
           हमको खूब सुनाती हैं।
 खूब पढ़ो और आगे बढ़ो,
           यही हमारा नारा है,
 हम हैं अपने देश का गौरव,
            हमको भारत प्यारा है।

रचयिता
आरती साहू,
सहायक अध्यापक,
प्रा0 वि0 मटिहनियाँ चौधरी,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद-महराजगंज।

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