विद्यालय विस्तार है संस्कारों का

विद्यालय विस्तार है संस्कारों का, ज्ञान की ऊपर उड़ती मीनारों का।
यहां आने का अर्थ है।
स्वाभिमान के साथ जीना
परिश्रम रूपी अमृत हर पल पीना ।
महात्मा बुद्ध ने कहा था कि अगर हम किसी फूल को पसंद करते हैं तो उसे तोड़ सकते हैं पर अगर प्रेम करते हैं तो उसे खाद, पानी देकर खिले रहने देंगे । कपिलवस्तु महोत्सव में जाकर ऐसा ही प्रतीत हुआ वहां सब से मिलकर जो भी अध्यापक 75 जिलों से वहाँ पहुँचे थे। सब अपने अपने विद्यालय के बच्चों से विद्यालय पसंद ही नहीं करते थे अपितु उनसे अपार स्नेह करते हैं तभी तो चाहते हैं कि हमारा विद्यालय ही उत्तर प्रदेश में सबसे उत्तम हो किसी भी क्षेत्र में हम पीछे न रहें न सिर्फ परिषदीय विद्यालयों में बल्कि अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूलों से भी सबसे परिश्रम कर्मठता ज्ञान स्नेह का जो मणिकांचन संबंध था वह देखते ही बनता था। पहली बार अनुभव हुआ कि हर अध्यापक जो मन से सेवाभाव से कर्तव्यपरायण है, बेसिक परिवारों से जुड़ा है उसे अपने किए हर कार्य के फल के रूप में सबका आदर व स्नेह अपार मिला है।
आज सभी पुनः नई ऊर्जा से भर कर अपने विद्यालय के बच्चों को और अधिक से अधिक करवाने के संपर्क संकल्प से आगे बढ़े वापस लौटे।

विद्यालय के सभी बच्चों को अपना समझ कर उन्हें शिक्षा के साथ-साथ अन्य कलाओं में भी पारंगत करने की जो मुहिम मिशन शिक्षण संवाद ने चलाई है, जिन अध्यापकों को जोड़ा है और जो आगे उन से प्रेरित होकर जुड़ रहे हैं कोई अतिशयोक्ति नहीं कि जल्द ही उत्तर प्रदेश का हर अध्यापक मिशन शिक्षण संवाद से जुड़कर बेसिक स्कूलों की नकारात्मक छवि को शून्य कर देगा।

विमल सर एवं उनकी अतुलनीय टीम को सबका बारंबार शत शत नमन यह मंच बनाने का एवं सबको गौरवान्वित करने का.....
अंत में मैं यही कहना चाहूँगी कि हमारे अध्यापक परिवार सुखी एवं स्वस्थ रहें ।
मार के शूल फूल बनकर हमारी भावी योजनाएँ सजाते एवं संवारते रहें और पूरे भारत में मिशन शिक्षण संवाद यह संदेश देता रहे कि जो लोग सिर्फ धन कमाते हैं वह अपने घर सिर्फ धन लाते हैं पर जो दुआएं कमाते हैं वह अपनी क्षमता से ज्यादा धन और उसके साथ सुख शांति व प्रेम लाते हैं ।
जय हिंद जय भारत🇮🇳

लेखक
नीलू चोपड़ा स0अ0,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय मल्हीपुर,
जनपद-सहारनपुर।

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