47/2024, बाल कहानी- 16 मार्च


बाल कहानी- वार्षिक प्रतियोगिता
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सुदूर गाँव में एक विद्यालय था। उस विद्यालय में अमित, सुनील और रोहिणी तीन बच्चे पढ़ते थे, जो आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे। तीनों ही बच्चे नियमित विद्यालय आते थे और मन लगाकर सीखते थे। 
तीनों में से कोई दोस्त किसी कारण विद्यालय नहीं जा पाता था तो वह दोनों से पूछ लेता था, आज विद्यालय में क्या पढ़ाया गया? उसे वह घर से सीख लेता था, जिससे वह पढ़ाई में पिछड़ता नहीं था। 
एक बार उनके विद्यालय के कक्षा अध्यापक ने बच्चों को सूचना दी कि अगले माह पूर्व वर्षों की तरह इस वर्ष भी आप सभी की ब्लॉक स्तरीय बहुविकल्पीय परीक्षा आयोजित होनी है। यह सुनकर बच्चे बहुत खुश हुए और विद्यालय के सभी बच्चे अपनी अपनी तैयारी में जुट गये। 
सभी ने परीक्षा की अच्छी तैयारी की और इसमें विद्यालय के अध्यापकों ने भी सहयोगी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सभी छात्रों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। 
परीक्षा के दिन सभी अपनी अपनी परीक्षा देकर अपने परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे थे। 
सभी बच्चों को सभागार में बिठा दिया।
टॉप तीन बच्चों के नाम बोले गये, उनमें रोहिणी का प्रथम स्थान और अमित का दूसरा स्थान एवं सुनील का तीसरा स्थान आया। चौथा स्थान आने से सुनील दुःखी हुआ, तभी सभागार में उपस्थित सभी बच्चों को समझाया गया कि अगले वर्ष की परीक्षा की तैयारी करें और अधिक मेहनत करें। इसके बाद सभी बच्चों को प्रमाण-पत्र वितरित कर विदा किया गया।

संस्कार सन्देश
परिणाम से कभी दुःखी नहीं होना चाहिए। कोई भी परिणाम अंतिम नहीं होता। कड़ी मेहनत करें!

लेखक-
धर्मेन्द्र शर्मा (स०अ०)
कन्या० प्रा० वि० टोडी-फतेहपुर, गुरसराय, झाँसी (उ०प्र०)
कहानी वाचक
नीलम भदौरिया

✏️ संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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