राजस्थान दिवस

रणबांकुरों की धरती,

वीरों की है वह नगरी।

कण-कण में बसता है शौर्य, 

प्रेम, त्याग, समर्पण है तगड़ी।।


सिंदूर सी सजती सुबह यहाँ,

रूप सी  सजती है संध्या

शिल्प सलोना दुर्गों का देखो,

मरुभूमि बस्ती है सभ्यता।।


समृद्ध संस्कृति लिए हुये राजस्थान,

पौरूष प्रताप से गूँजे पूरा हिंदुस्तान।

धोती, कुर्ता, पगड़ी, और मूँछ हैं शान,

राजपूत, गुर्जर, जाट के शासन महान।।  


इकतारे, अलगोजे, बंसी के हैं राग,

ढोलक, मजीरा, नगाड़ों की है थाप।

तीज, गणगौर, रंगीली-गौरी यहाँ 

बंजारे  घूम-घूम के गाते हैं फाग।।


'राजाओं का स्थान" बना राजस्थान,

जयपुर, जैसलमेर, बीकानेर, स्थान।

'बृहद राजस्थान संघ'  बना फिर,

स्वर्णाक्षरों में अंकित है इतिहास महान।।


सन् 30 मार्च 1949 में,

रियासतों का विलय हुआ।

सात चरणों में राजस्थान का,

भारत में एकीकरण हुआ।।


राजस्थानी सभ्यता, संस्कृति को,

विश्व पटल पर मिले अलग पहचान।

गौरवपूर्ण 73 वर्ष के सफर को,

विश्व धरोहर के रूप में मिले नाम।। 


रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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