अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस

मैं सत्य, शक्ति, संस्कृति, संस्कारी हूंँ,

आत्मसम्मान से जीने वाली नारी हूँ।

माँ, बेटी, बहन, पत्नी बन मैं आभारी, 

सक्षम, समर्थ, मैं खुद में खुद्दारी हूँ।।


आत्म सम्मान से जीने वाली नारी हूँ।


ममता  की  अविरल  धारा मैं

जलधि सी  अथाह धैर्यधारी हूँ।

रूप-रंग, सौंदर्य, अनुपम मुझमें

शक्ति-स्वरूपा मैं ही अवतारी हूँ।।


आत्म सम्मान से जीने वाली नारी हूँ।


उर में  बसता, ममता  और  संवेदना,

सकल  सृष्टि की, मैं  ही  महतारी  हूँ।

प्रेरणा विश्वास की अनन्त सार लिये मैं,

क्षितिज तक  उड़ने  की अधिकारी हूँ।।


आत्म सम्मान से जीने वाली नारी हूँ।


कभी कोमल, मासूम, सुरभित क्यारी हूँ,

कभी लक्ष्मीबाई, कभी रक्षकधारी हूँ।

नारी मैं, विविध संघर्षों की पराकाष्ठा,

ईश्वर की अनुपम, श्रेष्ठ चित्रकारी हूँ।।


आत्म सम्मान से जीने वाली नारी हूँ।


रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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