नारी सशक्तीकरण

ममता की मूरत हो, भला सा एहसास हो

आंचल में नेह भरा, प्रेम का आवास हो

सृष्टि का निर्माण किया, वंश बढ़ा धरा बनी

जहाँ नहीं दुख दिखे, सुख का आकाश हो


 धीरज का पर्याय हो, अवतार टेरेसा का

जो अंग्रेजों पर टूटी, वो लक्ष्मी की शक्ति हो

 गांधारी सी पतिव्रता, सती की तरह दृढ़ी

त्याग किया सीता जैसा, मीरा जैसी भक्ति हो


 गार्गी -अपाला की भाँति, विद्वान कहलाई थीं

 कल्पना बनके उड़ी, सर्वोच्च उड़ान हो

 माता-पिता की परी हो, भाई का अभिमान हो

 जिस घर लक्ष्मी बनी, वहाँ का सम्मान हो


 रोशन किया खेल को, मैरीकॉम सी खिलाड़ी

 महादेवी की लेखनी, लता की आवाज हो

 तुमसे है जग सारा, जीने का  आधार तुम

 अनाहद राग लगे, मधुरम साज हो


रचयिता

संगीता गौतम जयाश्री,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐमा,

विकास खण्ड-सरसौल,

जनपद-कानपुर नगर।



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