आज की नारी

मैं आज की नारी हूँ

नहीं हूँ मैं बरसात की घुटन और सीलन

मैं सुनहरी धूप की चमक हूँ

और गुलाबी जाड़े की ख़ुमारी हूँ

मैं आज की नारी हूँ


जीने का मौका देते हैं मुझे

पढ़ाते और लिखाते हैं

साथ देते हैं सपने पूरे करने में

मैं अपने माँ बाप की प्यारी हूँ

मैं आज की नारी हूँ


बोझ नहीं मैं किसी पर

सँभालती हूँ आफ़िस के काम

मचाती हूँ धूम बिजनेस में

और अपने घर की भी प्रभारी हूँ

मैं आज की नारी हूँ


नहीं बिगाड़ सकती हैं कुछ मेरा

ये सामाजिक कुरीतियाँ

सशक्त हूँ पूरी तरह

हर कुप्रथा पर मैं भारी हूँ

मैं आज की नारी हूँ      

मैं आज की नारी हूँ।।    

 

रचयिता

भावना तोमर,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय  नं०-1 मवीकलां,

विकास खण्ड-खेकड़ा,

जनपद-बागपत।




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