होली

आया फागुन का मास, पावन पर्व होली है

बढ़ गया प्रेम का भाव, मीठी अब बोली है

 गाते फागुन गीत, बजाते ढोल मंजीरा

 मन में लिए उल्लास, होरियारी टोली है


 धरा हुई रंगीन, उड़ता अबीर गुलाल है

मचता है चारों तरफ, रंगों का धमाल है

कोई बात ना माने, करे तंग सखियाँ सभी

शर्म से राधा खड़ी, रंगों से मुख लाल है


 गुजिया, पापड़, पकवान, सबके मन को भाए

दूर गए घर वाले, लौट के घर को आए

खेल रहे बाल-गोपाल और बुढ़ऊ बुढ़िया

 रंग में भीगे तन, मन में रंग को लगाए


 बागों में अमिया महकी, आमों की लहर है

 पक गई बाली गेहूँ की, थोड़ी सी कसर है

मीठी-मीठी रसधार गन्ने में भर आई

 पीली सरसों फूल रही, पीला सब पहर है


 भेदभाव को दूर करो, द्वेष क्लेश मिटाओ

जाति धर्म की तोड़ दीवार गले लग जाओ

कुछ ना मिला है नफरत से और नहीं मिलेगा

भारत के वासी सभी पर्व मिलकर मनाओ


रचयिता

संगीता गौतम जयाश्री,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐमा,

विकास खण्ड-सरसौल,

जनपद-कानपुर नगर।




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