मस्ती में मलंग महादेव

चढ़ रहे हैं बेलपत्र, हो रहा श्रृंगार है। 

 उमड़ी भीड़ भक्तों की, बाजे मृदंग है। 

आज मेरे महादेव मस्ती में मलंग हैं।।


कर में कमण्डल, तन पे मृगछाल है। 

शीश साजे चंद्रमा, कंठ लिपटे भुजंग हैं। 

आज मेरे महादेव मस्ती में मलंग हैं।।


कर में त्रिशूल और डमरू सुशोभित है। 

तन पे रमाय भस्म, जटाओं में बहती गंग है। 

आज मेरे महादेव मस्ती में मलंग हैं।।


देवों के देव है वह मेरे महादेव हैं। 

नंदी है सवारी, आदिशक्ति उनके संग है। 

आज मेरे महादेव मस्ती में मलंग हैं।।


 नर, पशु, देवगण शिवभक्ति में लीन हैं। 

 नाच रहे भूत प्रेत, घुट रही भंग है। 

आज मेरे महादेव मस्ती में मलंग हैं।।


रचयिता
रीनू पाल रूह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय दिलावलपुर,
विकास खण्ड - देवमई,
जनपद-फतेहपुर।



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