देश प्रेम

आओ वीर सपूतों देश प्रेम दिखलाओ

भारत माता के मस्तक पर शौर्य तिलक लगाओ।।

माँ भारती पुनः-पुनः पुकारती।

अपनी रक्षा को तुमको है गुहारती।

देश प्रेम से बढ़ ₹कर न कोई है धर्म।

चाहे जितने भी कर लो तुम कर्म।।

नमन है  देश के अमर सपूतों।

देश का फिर उद्धार करो।।

युवा पीढ़ी के मन में देश प्रेम तुम भरो।

माँ भारती के सपूतों अच्छे कर्म करो।।

फाँसी के फंदे पर खुशी से झूले।

पर न देश के विरुद्ध वो बोले।।

इंकलाब का नारा उनके अधरों पर था।

मातृभूमि की रक्षा का संकल्प उनके मन में था।।

देश के नौनिहाल थे, अपनी माँ के लाल थे।

आज़ादी लेंगे, उनके हृदय के विचार थे।।

भारत देश तुम्हारा ऋण न चुका पाएगा।

शत शत नमन, यही बस कह पाएगा।।


रचयिता
सीमा अग्रवाल,
सेवानिवृत्त सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय हाफ़िज़पुर उबारपुर,
विकास क्षेत्र - हापुड़,
जनपद - हापुड़।

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