भारत को निपुण बनाना है

अब भारत को निपुण बनाना है।

बाल वाटिका भव्य सजाना है।


 बना कक्ष जो छोटे  बच्चों का,

 रंग-बिरंगा  भव्य  सजाना है।


सीखें बच्चे अपने समाज को,

नाटक कोना वहीं बनाना है।


नन्हें मुन्ने  प्यारे   बच्चों को,

कक्षा में अब खेल खिलाना है।।


समझ-समझ बच्चे पढ़ते जाएँ,

ऐसा उनको  दक्ष  बनाना है।


कभी गिनती पहाड़ा  रटें नहीं,

समझ गणित की सही बढ़ाना है।


रचयिता
ओम प्रकाश श्रीवास्तव,
सहायक अध्यापक, 
प्राथमिक विद्यालय उदयापुर, 
विकास खण्ड-भीतरगाँव,
जनपद-कानपुर नगर।


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