नटखट गौरैया

नटखट सी चंचल सी प्यारी सी,

 है ये गौरैया,

डाली-डाली पेड़ों पर।

चहके ये गौरैया।।


रोज सबेरे आँगन में,

करती है अठखेली।

नन्हें-मुन्ने पंखों से,

खेले ये अलबेली।।


ना कोई जादू ये जाने ना,

मन को बस हर्षाए।

तिनका-तिनका जोड़े,

अपना घर ये बनाए।।


निश दिन मेरी प्यारी बिटिया,

संग-संग ये खेले।

चूं चूं करती आगे-पीछे

फुदके और डोले।।

 

कभी थिरकती कभी मटकती,

कभी फुदकती गौरैया।

घर के आँगन का हर कोना, 

चहकाती है गौरैया।।


ये नन्हीं सी परी धरा की,

घर आँगन की है ये शान।

संरक्षण हरदम करना, 

करना होगा इनका मान।।


आसमान की शोभा इनसे,

सुंदर इनसे वसुंधरा।

ये मंजुल पक्षी है ऐसी,

जिनसे जीवन रहता हरा-भरा।।


रचयिता

डॉ0 शालिनी गुप्ता,

सहायक अध्यापक,

कंपोजिट विद्यालय मुर्धवा,

विकास खण्ड-म्योरपुर, 

जनपद-सोनभद्र।



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