विदा नहीं जीवन से

 जीवन पथ पर ज्ञानदीप की ज्योति लेकर आए।

विद्यालय की  फुलवारी में यूँ  नए फूल खिलाए।


नए तरीके अपनाकर नये-नये नित पुँज बनाए।

नए ज्ञान की हरियाली सबके मन में भरते आए।


शिक्षक जीवन और आदर्श का ज्ञान कराकर,

कर्तव्य- बोध और निष्ठा  भाव जगाते आए।


कब ये इतने बरस बीत गए जान नहीं हम पाए।

धीरे-धीरे चुपके से जाने का वक्त कब ले आए।


द्रवित हो रहा है मन, अश्रुपूरित  हैं ये नैन हमारे,

शिक्षक के संग बच्चों के भी आँखों में आँसू आए।


विदा हो रहे इस आँगन से, विदा नहीं जीवन से,

सदा आशीष आपका हमें जीवन में  मिलता आए।


रचयिता
शगुफ्ता रहमान 'सोना',
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय धीमरखेड़ा नवीन,
विकास खण्ड-काशीपुर,
जनपद-ऊधम सिंह नगर,
उत्तराखण्ड।



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