खुल गये स्कूल

महक उठी बगिया मेरी,

चहक उठी कलियाँ दिल की।

आई है रौनक स्कूलों में,

बढ़ गई हैं खुशियाँ मेरी।


वीरान थे सारे कक्षा कक्ष,

इंतजार में थे बनकर स्वच्छ।

आकर्षक परिवेश ने उत्साह बढ़ाया,

बच्चों ने चमकाया कक्षा कक्ष।


हवाओं में प्रसन्नता की झलक,

बच्चों ने दिखाई पढ़ने की ललक।

बिन बच्चों के सूना था आलम,

निहारें मेरे नेत्र चहुँओर अपलक।


प्रेरक प्रदेश अब बनाना है,

हम अध्यापकों ने यह ठाना है।

बच्चा-बच्चा इस मुहिम में है शामिल,

जज्बा अब सबमें यह भरना है।


गलियारे सारे झूम उठे,

मस्ती में बहारें झूम उठे।

आए हैं मेरे प्यारे बच्चे,

मन भी उत्साह से भर उठे।


लक्ष्य पर अपने ध्यान होगा,

हर बच्चा दक्षता हासिल करेगा।

बाधाओं से नहीं डरना हमको,

सिद्ध करना है स्वयं को पलायन नहीं विकल्प होगा।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।


Comments

Total Pageviews