विश्व रंगमंच दिवस

रंगमंच है बन्धु यह संसार,

संभावनाओं से नहीं इनकार।

हम सब इसके मोहरे मात्र,

आती जाती रहती बहार।।


21 मार्च 1961 को इसे मनाया,

तब से यह अस्तित्व में आया।

थियेटर समारोह का प्रचलन बढ़ा,

अब मानव इसको जान पाया।।


फ्रांस के जींन काक्टे ने दिया संदेश,

सलाह दी, न था ये आदेश।

2002 में गिरीश कर्नाड पाए सम्मान,

मशहूर रंगकर्मी उपलब्धि किए आगोश।।


थिएटर के प्रति जागरूकता है बढ़ाना,

मानव को अहमियत याद दिलाना।

एक थिएटर कलाकार को है चुनना,

माध्यम बनाकर संदेश प्रसारित करना।।


बदल गया है रंगमंच का चलन,

बचाने का सब करो जतन।

सत्यता से परिचय यही कराते,

समाप्त प्राय: ना हो इसका प्रचलन।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।


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