होली आई रे

लाल, गुलाबी, नीले, पीले

रंग हैं कितने प्यारे।

जाति-पाति, अमीर-गरीब का,

भेद नहीं ये माने,

एक-दूजे के दिलों से,

 देखो नफरत मिटाने आई,

आई-आई रे होली आई।

देखो रंगों की सौगात लाई।

होली के रंगों की तरह,

सतरंगी रंग भरो जीवन में,

राग-द्वेष ना करो किसी से,

मन रंग दो, ऐसे रंग में 

प्रेम और स्नेह के रंग,

देखो ये बरसाने आई।

आई-आई रे होली आई।

जल जायेगी जब सारी बुराई,

तभी जीत होगी सच्चाई की,

होलिका दहन तभी सच होगा,

जब होगी, हार बुराई की।

दिलों से नफरत मिटाने

देखो खुशियों की फुहार लाई।

आई- आई रे होली आई। 

 त्योहार है ये, खुशियों से भरा,

जब सारे रंग खिलते हैं,

 उल्लास और उमंग से

एक- दूजे संग मिलते हैं,

 होली के शुभ अवसर पर,

आप सभी को ढेरों बधाई।

आई-आई रे होली आई।

देखो रंगों की सौगात लाई।

आई-आई रे होली आई!!!


रचयिता
उषा त्रिवेदी,
प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोट,
विकास खण्ड-नरेंद्र नगर,  
जनपद-टिहरी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।



Comments

Post a Comment

Total Pageviews