रंगमंच दिवस

रंगमंच  की  इस  दुनिया  में 

होता  सबका  अपना  काम


 हर चेहरे पर  हैं  लगे  मुखौटे

अभिनय करना  सबका काम 


कठपुतली सा हमें ईश नचाता 

सकल  कर्म  का  मिलता दाम


सुख-दुख के  ये  भाव  दिखाएँ

धैर्य, विवेक कराता जग में नाम


हर  इंसान  है  एक  पात्र  यहाँ

कर्म  बनाता  उसे  खास-आम


बचपन, जवानी, बुढ़ापा आये 

एक दिन आये जीवन की शाम


चरित्र करें अपना अनुसरण योग्य

जिम्मेदारियों को दें सकल अंजाम 


ईर्ष्या, धोखा, लालच से खुद बचें 

दया, प्रेम का, दें सदा  सद्पैगाम 


अंत समय जब पर्दा गिरे रंगमंच से 

तेरे किरदार को, करे जगत सलाम


रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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