ओ गौरैया

एक थी छोटी सी प्यारी चिड़िया

सब कहते थे उसको गौरैया


जब हम छोटे-छोटे थे

आँगन में फिरती थी गौरैया


इधर फुदकती उधर फुदकती

चहकती रहती थी गौरैया


सुबह-सुबह दाना चुगने

छत पर आ जाती थी गौरैया


जब भी जाते उसे पकड़ने

फुर्र से उड़ जाती थी गौरैया


कभी छज्जे पर, कभी आले में

घोंसला बनाती थी गौरैया


बहुत दिन हो गये देखा नहीं

कहाँ गायब हो गयी गौरैया


तुम फिर से वापस आ जाओ

मेरी खास सखी ओ गौरैया


रचयिता
अरूणा कुमारी राजपूत,
सहायक अध्यापक,
आदर्श अंग्रेजी माध्य्म संविलयन विद्यालय राजपुर,
विकास खण्ड-सिंभावली, 
जनपद-हापुड़।



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