होली आई है

तर्ज- चिट्ठी आई है, आई है.....................


होली आई है, आई है, होली आई है

होली आई है बसंत मे होली आई है!

तिथि पूर्णिमा, मास है फाल्गुन,

बरसे खुशियाँ सबके आँगन!

होली का त्योहार निराला,

रंग गुलाल उड़ाने वाला!

प्यार की ना बिगड़े रंगोली,

खुशियों से भर जाए झोली!

गली-गली से निकले टोली,

रंग ना जाने जाति या बोली!

होली आई है...........................................

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जगह-जगह प्रतिबंध लगा है,

हर चेहरे पर मास्क लगा है!

दो गज की दूरी अपनायें,

कैसे प्रेम का रंग लगायें!

सैनेटाइजर की पिचकारी,

सक्रिय है हर एक अधिकारी!

इस होली को खास बना लो,

दिल में रहो, दूरियाँ बना लो!

घर में रहकर गुझिया खायें,

रहें सुरक्षित, जान बचायें!

होली आई है...........................................

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गेहूँ की बाली इठलाती,

बाग में पुष्प की छटा जब छाती!

पशु-पक्षी उल्लास मनाते,

तब हम ये त्योहार मनाते!

बच्चे झूमें नाचे गायें,

बड़े-बुजुर्ग हैं ढोल बजायें!

होलिका बनाकर आग लगायें,

पकवानों का भोग लगायें!

महामारी का खेल है अब तो,

बंद हो गया मेल भी अब तो!

होली आई है, आई है, होली आई है

होली आई है बसंत मे होली आई है!!


रचयिता

अंकुर पुरवार,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय सिथरा बुजुर्ग,

विकास खण्ड-मलासा,

जनपद-कानपुर देहात।




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