आजा प्यारे

तर्ज...जब सर तेरा चकराए


जब खाँसी बहुत सताए,

बलगम भी बहुत जब आए।

आजा प्यारे! पास हमारे,

तू काहे घबराए, काहे घबराए।। 


बुखार जब ना जाए,

कमजोरी भी सताए।

मुँह से खून जब आए,

और दिल जब घबराए।। 

सुन-सुन-सुन, अरे प्यारे! सुन,

टी० बी० है सबकी दुश्मन।

इससे बचने का है एक उपाय,

तू काहे घबराए, काहे घबराए।। 


स्वास्थ्य केंद्र फिर जाओ,

बिल्कुल ना देर लगाओ।

परेशानी अपनी बताओ,

कुछ भी ना छिपाओ।। 

सुन-सुन-सुन, अरे प्यारे! सुन,

हम डॉक्टर हैं सबके शुभचिन्तक।

तू काहे घबराए, काहे घबराए।। 


डॉक्टर जो बताए,

बचाव जो समझाए।

अमल करो, बस उन पर,

विश्वास करो डॉक्टर पर।। 

सुन-सुन-सुन, अरे प्यारे! सुन,


टी० बी० से जीतेंगे हम।

तू काहे घबराए, काहे घबराए।। 


इधर-उधर ना थूको,

स्वच्छ रखो खुद को।

खाँसो मुँह को ढक कर,

जीवन बना लो सुखकर।। 

सुन-सुन-सुन, अरे प्यारे! सुन,

दवा का पूरा कोर्स करो तुम।

तू काहे घबराए, काहे घबराए।। 


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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