नन्हें मुन्नों का बाल दिवस

देश का भविष्य हैं ये बाल
विकास का आधार हैं लाल
इनके मन में भावना जगाना
जीवन अनमोल यूँ ही न गँवाना।

शक्तिशाली जिस देश बाल
प्रभावशाली उस देश के युवा लाल
रखना है इनके अधिकारों को सँभाल
हर देश मनाए बाल दिवस हर साल
श्री कृष्ण मेमन ने दिया ये प्रस्ताव
विश्व स्तर पर मनाओ बाल दिवस हर साल।

विभिन्न दिवसों में हर देश मनाता
 14 नवम्बर को भारत बाल दिवस मनाता
कच्ची मिट्टी सा है बच्चों का आकार
हर दिवस में होता इनका सत्कार।

अन्याय से भरा न हो इनका जीवन
प्रतिज्ञा करो न करोगे बाल शोषण
शिक्षा दो और दो संस्कार
भारत माता के ये कर्णधार
न करना कभी इन पर अत्याचार
सुरक्षित रखना इनके अधिकार।

जन्मा फिर मोती लाल का लाल
1889 था वो पवित्र साल
इंग्लैंड में थी शिक्षा पायी
वकालत की शिक्षा उनको भायी
कमला जी जैसी पत्नी पायी
इन्दिरा जैसी बेटी आयी।

भारत राष्टीय कांग्रेस का नेता
भारत का वीर पुत्र प्रणेता
देश की सेवा का प्रण कर आया
गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया।

14 नवंबर को उनका जन्मदिन मनाएँ
बच्चों के चाचा नेहरू कहलाए
भारत के थे पहले प्रधानमंत्री
बच्चे देते उनको श्रद्धांजलि।

करते थे बच्चों से बेहद दुलार
बच्चे भी लुटाएँ उन पर प्यार
आसानी से बच्चे उनसे जुड़ जाते
चाचा से दिल की बात कह पाते
इस दिन से शुभ दिन कोई और न पाएँ
जन्मदिन को उनके बाल दिवस मनाएँ।।

बाल दिवस पर करो बाल अधिकारों का मनन
माटी के पुतलों का न करो हनन
हर बालक को शिक्षित करने का करो प्रण
तभी विकसित होगा हमारा ये वतन।।

रचयिता
अर्चना अरोड़ा,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बरेठर खुर्द,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फ़तेहपुर।

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