महान वीरांगना

तर्ज--नमामि शमीशान निर्वाण.....

अदम्य साहस, वीरता की पहचान,
रानी लक्ष्मीबाई, भारत की शान।
स्वतंत्रता को जो हुई बलिदान,
वीरांगना थीं, वो सबसे महान।।
झुकाया न सिर, दुश्मन के आगे जिसने।
जीवन जिया, स्वाभिमान से जिसने।
मनु, छबीली, मणिकर्णिका हैं नाम।
नारीशक्ति की हैं, ये पहचान।।
खून से जमीं को, सींचा था जिसने,
आजादी के बीज ,बोया था जिसने।
साथी थे जिसके बरछी, ढाल, कृपाण।
छक्के छुड़ाए, लिए अंग्रेजों के प्राण।।
टूटी थी दुश्मन पे, बिजली के जैसी,
बाजी लगायी थी, प्राणों की ऐसी।
पाकर रही अपना ,आत्मसम्मान,
कर गयीं, दुनिया में भारत का नाम।।
होंगी जो बातें, सशक्तिकरण की,
गूँजेंगी गाथा, रानी लक्ष्मीबाई की।
देश की रक्षा को, देंगे बलिदान,
बनाएँगे भारत को, फिर से महान।।
अदम्य साहस, वीरता की पहचान।
वीरांगना थीं, सबसे महान।।
आज ही जन्मदिन है, अनमोल रत्न का,
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा जी का।
हो करके सक्षम, किया देश सक्षम,
देश-विदेश में किया नाम रोशन।।

रचयिता
सुमन पांडेय,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय टिकरी मनौटी,
शिक्षा क्षेत्र -खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।

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