संविधान दिवस

लोकतंत्र चलता है जिससे,
ऐसे कड़े विधान की।
आओ मित्रो बात करें हम,
अपने संविधान की।।

जकड़े थे हम जंजीरों में,
एक सपना आजादी थी।
गोरों के हाथों नित होती,
भारत की बर्बादी थी।।

जिसका इंतजार था सबको,
आजादी के विहान की।
आओ मित्रो बात करें हम,
अपने संविधान की।।

कानूनों का ग्रन्थ बनाकर,
नई चेतना लाये थे।
बाबा साहब और उनके साथी,
मन ही मन हर्षाये थे।।

आदरणीय राजेंद्र प्रसाद जी के,
दुर्लभ अनुसंधान की।
आओ मित्रो बात करें हम,
अपने संविधान की।।

दुनिया का सबसे बड़ा यह,
लिखित संविधान है।
कैसे उन्नति करे देश यह,
इसमें प्रावधान है।।

मौलिक अधिकार और कर्तव्य,
मिले जहाँ ऐसे ही निर्माण की।
आओ मित्रो बात करें हम,
अपने संविधान की।।

रचयिता
प्रदीप कुमार चौहान,
प्रधानाध्यापक,
मॉडल प्राइमरी स्कूल कलाई,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।

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