महिला सशक्तिकरण 174, अलका यादव ,औरैया

*👩‍👩‍👧‍👧महिला सशक्तीकरण विशेषांक-177*

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*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की बहनों की संघर्ष और सफ़लता की कहानी*
(दिनाँक- 11 नवम्बर 2019)
*नाम:-अलका यादव*
*पद :-प्रधानाध्यापक*
*विद्यालय:-इंग्लिश मीडियम मॉडल स्कूल नंगला जय सिंह ,भाग्यनगर ,औरैया*

*सफलता एवं संघर्ष की कहानी :-*
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एक शिक्षिका के रूप में मेरी शुरुआत एयर फोर्स एकादमी चकेरी कानपुर से हुई और वहीं से संघर्ष भी शुरू हुआ । शिक्षिका एक मां भी होती है नौकरी के साथ-साथ अपने बच्चों की परवरिश भी सही ढंग से होनी चाहिए । मेरे पति बेसिक शिक्षा विभाग इटावा में और मैं कानपुर एयर फोर्स में कुछ समय बाद पति के कारण मै भी बेसिक शिक्षा विभाग में आई और प्रथम नियुक्ति सन 2006 में प्राथमिक विद्यालय गपचारियापुर सहार औरैया में मिली कानपुर से सुबह 3:30 बजे निकलना पड़ता था और 10:00 बजे के विद्यालय में मैं स्कूल 9:00 बजे पहुंच जाती थी क्योंकि एक ही ट्रेन थी उस से ही मैं आ सकती थी मगर ऐसा हमेशा संभव नहीं था 7:00 बजे के विद्यालय में मुझे औरैया में ही अपना निवास बनाना पड़ा जिससे की एक भी उंगली मेरी तरफ ना उठे ।  विद्यालय घर से 20 किलोमीटर दूरी पर था दूसरी बार गर्भवती होते हुए भी मैं 20 किलोमीटर स्कूटी से विद्यालय समय से जाती रही प्रसव कालीन अवकाश के तुरंत बाद स्कूल ज्वाइन किया व् केयर टेकर को साथ  रखकर विद्यालय में पूर्णरूपेण शिक्षण कार्य किया ।इस विद्यालय के छात्र संख्या बढ़ाने में मेरा योगदान अधिकारियों द्वारा सराहनीय रहा । मैंने यूनिफार्म की महत्ता बताई और लगभग सारे बच्चे यूनिफॉर्म में आने लगे । जुलाई 2010 में प्राथमिक विद्यालय समाधान में समायोजन में आई जहां छात्र संख्या मात्र 47 थी जो कि गांव संपर्क में संपर्क करने के पश्चात 62,68 और 2013 में 75  मात्र पहुंच गई (गांव छोटा होने के कारण)।
जुलाई 2013 में पदोन्नति में उच्च प्राथमिक विद्यालय गौरी गंगा प्रसाद में विज्ञान शिक्षक के रूप में नियुक्त हुई । विज्ञान के क्षेत्र में रुचि के कारण विज्ञान व गणित विषय की जिले की सन्दर्भदाता बना दी गई ।अब छात्रों के साथ समय समय पर शिक्षकों को भी ट्रेनिंग देने लगी ।
वर्ष 2015 में इंग्लिश मीडियम स्कूल जॉइन करने का सुनहरा मौका मिला जहाँ  मुझे भोले-भाले ग्रामीण बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षण देने में मजा तो आ रहा था मगर कठिनाई भी बहुत हो रही थी हार नहीं मानी छात्र संख्या 143 से बढ़कर 224 तक पहुंच गई । पास के प्राइवेट स्कूल के बच्चे भी आ गए मेहनत लगातार करती रहे बच्चे अंग्रेजी बोलने लगे बहुत अच्छा लगा अभिभावक काफी प्रसन्न हुए वर्ष 2016 और 2017 में विद्यालय में अकेले और छात्र संख्या अधिक होने के कारण जीवन बहुत संघर्षपूर्ण रहा परंतु हार नहीं मानी अंग्रेजी माध्यम और विद्यालय सड़क के किनारे होने के कारण कोई भी शिक्षक आना नहीं चाहता था
समय-समय पर निरीक्षण  होता रहा प्रसंशा भी हुई कठिनाइयां भी आई ।हार नहीं मानी परिसर की सुंदरता बनाने के लिए अधिक से अधिक पौधे क्यारियां , वाल पेंटिंग आदि करवाएं विद्यालय भवन की रूपरेखा ही बदल गई।
वर्ष 2018 में माननीय मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जी द्वारा औचक निरीक्षण हुआ जिसमें सभी व्यवस्थाएं उत्कृष्ट पाए जाने पर मुझे शिक्षक दिवस पर जिला अधिकारी एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया अभी तक का सफर बहुत ही कष्टदायक रहा है अगर पूरी लगन से कार्य करने के कारण विद्यालय हमेशा ही अच्छे विद्यालयों में गिना जाता है यहां मुझे अपनी कुशलता की पहचान झलकती है अतः अंत में आप सभी से कहना चाहती हूँ कि मैंने पूरी कोशिश की है कि छात्रों को आगे तक पहुंचाने में आप लोग भी करें । महिला होते हुए भी कमजोर नहीं हुई एक सशक्त नारी बनकर डटी रही और अपने शिक्षिका होने की कर्तव्य को निभाती रही । वर्तमान में मेरा विद्यालय ही मेरी पहचान बन गया है ।
नारी हूं कमजोर नहीं पथरीली राहों को देख डरी नहीं  ।

ध्यान दें ,,,,,व्यक्ति क्या है यह महत्वपूर्ण नहीं है परंतु व्यक्ति में क्या है यह बहुत महत्वपूर्ण है
  *जब मन में हो दृढ संकल्प,
   मिल जाते हैं कई विकल्प
   कठिनाइयाँ हो जाती है अल्प*
_✏संकलन_
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद।*

Comments

  1. बहुत सही सोच के साथ कार्य।

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