झाँसी की रानी

काशी की गलियों में जन्मी
'मणिकर्णिका' राजकुमारी थी

'मोरोपंत' की दुलारी बेटी
 'पेशवा बाजीराव' को प्यारी थी

जन्म हुआ तब किसने जाना
कोमल कन्या वीरांगना बनने वाली थी

साहस शौर्य की मिसाल 'मनु'
 बचपन से मतवाली थी

जिस उम्र में गुड़िया प्यारी होती
प्रिय उसे तलवार दुधारी थी

घुटनों बल चलने के दौर में
शौक हाथी की सवारी थी

उन्मुक्त गगन की स्वामिनी वो
पवन से बातें करती थी

इक अकेली इस नारी से
अंग्रेजों की फौज भी डरती थी

संघर्षों से भी न डरती
बहुत ही हिम्मतवाली थी

तलवार का वार था ऐसा
जाने क्या वो करने वाली थी

सब विस्मृत हो उसे देखते
 नारी थी या माँ काली थी

धुँध हटाने को विस्मृति की
तन- मन से जिसने ठानी थी

नमन करें उस रानी को
जो वीरता की निशानी थी

हाँ ऐसी लक्ष्मीबाई थी
ऐसी अपनी झाँसी की रानी थी।

रचयिता
छवि अग्रवाल,
सहायक शिक्षिका,
प्राथमिक विद्यालय बनपुरवा,
काशी विद्यापीठ,
जनपद-वाराणसी।

Comments

  1. सुंदर रचना छवि बधाई

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  2. बहुत सुंदर रचना छवि👌👌💐💐

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  3. उत्कृष्ट रचना छवि मैम

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