वसुधा खुशहाल बनाएँगे

दुर्बल यदि बुनियाद रही
तो महल धराशायी होंगे
जो भी कल, कल आएगा
हम ही उत्तरदायी होंगे

हम पर विश्वास धरा को है
हम से है भरोसा अम्बर को
हम आशा के ध्वजवाहक हैं
हमसे गति मिले चराचर को

हम निर्बल मन लेकर कैसे
वसुधा खुशहाल बनाएँगे
क्या कायर मानस को लेकर
हम इस भू पर जी पाएँगे

साँसों का आना-जाना ही
इस जीवन का पर्याय नहीं
खाना, सोना, बस जी लेना
यह जीवन का अध्याय नहीं

यदि रगों में साहस बहता है
तो कुछ ऐसे कृत्य महान करो
धरणी पर आना सफल बने
कुछ ऐसा दिव्य विधान करो

गर जन्म मनुज का पाया है
तो इसे न यूँ ही व्यर्थ करो
मानवता के भविष्य हितार्थ
तुम खुद को सदा समर्थ करो

रचयिता
कुमार विवेक,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय पलौली,
विकास क्षेत्र-बेहटा,
जनपद-सीतापुर।

Comments

Total Pageviews