जन्मोत्सव

पैदा होने वाला हर बालक,
जब माँ की झोली भरता।
मात-पिता का लाडला बेटा
 घर को रोशन करता।।

लेते बलाएँ सब उसकी,
झोली भर के दुआएँ देते।
नृत्य, भोज व भजन, कीर्तन,
कर के जन्म उत्सव मनाते।।

जन्म लेती हर बाला यहाँ है,
माँ-पापा की नन्हीं परी।
रौनक होती हर घर की बेटी,
जब वो इस धरा पर उतरी।।

हर दुआ की हकदार है वो भी,
उसका जन्म महोत्सव भी मनाओ।
उसका भी हक़ है जीने का,
खुशियों से सब झूमो गाओ।।

हर जन्मदिवस पर केक काटते,
स्वस्थ रहने को पूजा करवाते।
आशीष दीर्घायु होने का देते,
खुशियाँ स्वजन मिलकर बाँटते।।

जन्मदिवस की खुशी मनाओ,
स्वास्थ्य हेतु टीके लगवा लो।
साफ़-सफ़ाई का रखना ध्यान,
खान-पान का भी रखना ज्ञान।

शुद्ध वायु और शुद्ध हो जल,
नित खाओ तुम ताज़े फल।
पौष्टिक हो तुम्हारा आहार,
मन में रखना शुद्ध विचार।।

रचयिता
अंजना कण्डवाल 'नैना'
रा0 पू0 मा0 वि0 चामसैण,
विकास क्षेत्र-नैनीडांडा,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।

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