तनाव का बोझ

भागम- भाग  भरा  जीवन
समय की व्यस्तता, दौड़ता मन
ग्रसित है किशोर, युवा जन
बच न सका मासूम बचपन।

एकान्त, गुमसुम, चिड़चिड़ापन,
अध्ययन में आती अड़चन,
बड़े लक्ष्य पाने की ललक
अपूर्ण पर हताशा की झलक।

मस्तिष्क हाँ या ना में झुला,
क्षण भर का गलत फैसला।
जिंदगी खत्म करने को हुए आमदा,
समस्या पर पुरुष अनुपात ज्यादा।।

दिनचर्या पर समय प्रबंधन
नकरात्मक सोच पर नियंत्रण
अपनाएँ योग व मेडिटेशन
आत्महत्या रोक चलाएँ उन्मूलन।

जी   भर  जीएँ   हर   क्षण
ईश की देन अनमोल जीवन
स्वस्थ्य तन व स्वस्थ्य मन,
जीवन बचाने का लें प्रण।

रचयिता
प्रियंशा मौर्य,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय चिलार,
विकास क्षेत्र-देवकली,
जनपद-गाजीपुर।


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