वल्लभ भाई पटेल

सुदृढ़ व्यक्तित्व तुम्हारा था,
देश तुम्हें सबसे प्यारा था।
ओ राष्ट्र के गौरव लौह पुरुष,
वल्लभ नाम तुम्हारा था।।

हृदय फूल सा कोमल था,
छवि लौह की बनायी थी।
तुम्हारी एक दहाड़ से,
गोरी सरकार थर्रायी थी।।

निर्भीकता का पर्वत बनकर,
राष्ट्र की आन बचाने को।
जन्म लिया तुमने धरा पर,
आतातायी भगाने को।।

गांधी का बनकर दायाँ हाथ,
सत्याग्रह में चले साथ।
झुका दिया अंग्रेजों का सिर,
अहिंसा से देकर जवाब।।

नाडियाड के ओ सपूत,
ओ भारत के रत्न विजेता।
आ जाओ अब फिर धरा पर,
पुकार रही राष्ट्र एकता।।

निर्भीक, सरल व्यक्तित्व के स्वामी,
कर रहा तुम्हें है देश नमन।
आज़ादी के अमर सेनानी,
शत-शत है तुम्हें नमन।।

रचयिता
पूजा सचान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मसेनी(बालक) अंग्रेजी माध्यम,
विकास खण्ड-बढ़पुर,
जनपद-फर्रुखाबाद।

Comments

  1. वाह पूजा मैम जी , वाह !!
    लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल जी के जयंती पर आप द्वारा स्व - रचित काव्य पंक्तियाँ बहुत ही शोभनीय हैं । सचमुच आपने कविता के माध्यम से सरदार पटेल जी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर जो रोशनी डालने का अनुपम प्रयास किया है, वह काबिले तारीफ है । इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपको दिल से धन्यवाद और बधाई !!

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