मेरी प्रेरणा

जीवन पथ पर चलते-चलते,
कुछ ऐसे मोड़ आ जाते हैं,
अन्तर्मन की वेदना सहते-सहते,
आँसू जल से भर जाते हैं।।

मन मलिन मुख जलधार,
जब पापा को दिख जाते हैं,
बुला पास, दे स्नेह कुछ,
मधुर एहसास दिला जाते हैं।।

बिटिया,....
तू तो शक्ति स्वरूप,
नारी का सम्मान बता जाते हैं,
ना अवरोध कोई, ना बाधा कोई,
ना सन्देह कोई, ना व्यवधान कोई,
बहुत दूर से हैं दिशाएँ बुलातीं तुझे,
नहीं पथ डगर, आज अन्जान कोई,
हर दिशा बुला रही तुझे,
ये दिगन्तर खुला सिर्फ तेरे लिए,
ये बातें समझा जाते हैं।।

ये प्रेरणा मन को फिर खुशी दे जाती है,
बस अपने पथ में, अपनी मंजिल तक पहुँचना सिखा जाती है।।

ये बातें मन मन्दिर में रख उनकी बिटिया फिर आगे बढ़ जाती है,
आने वाले किसी व्यवधान से ना रुकना,
उनकी बिटिया सीख जाती है।।
जीवन पथ.........
कुछ ऐसे......
   ............आ जाते हैं।।

रचयिता
शालिनी सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय जानकीपुर,
विकास खण्ड-सिराथू,
जनपद-कौशाम्बी।

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