भाई दूज

हमारे संस्कृति व परम्पराएँ हमें देती हैं संस्कार,
प्रकृति से जुड़े हुए हैं, हमारे तीज औऱ त्योहार।

भाई- बहिन का ये त्योहार, देता है हमें सन्देश,
मिलती नही भाई से, रहती है जो दूर परदेश।

यम- यमुना जी की, प्रचलित है ये सुनो कहानी।
सूर्य-छाया की सन्तान, सुना पूर्वजों की जुबानी।

यमुना जी ने भाई यम को, घर अपने बुलाया।
कार्तिक की द्वितीय तिथि को, यमराज आया।

खुश होकर यमुना जी ने भोज व उपहार दिया।
इसी दिवस वर्ष में आने का यम ने वचन दिया।

वरदान मिला भाई को, बहन से मिलने जाएगा।
यम की कृपा होगी, वो अकाल मृत्यु नहीं पाएगा।

विविध, रंग व रूपों में, लोग इसे मानते हैं,
भाई -बहिन के पावन बंधन कोI निभाते हैं।

देवभूमि है उत्तराखण्ड में, पर्व ये बड़ा महान,
भाई - बहिन के पावन बंधन की है ये पहचान।

बहिन भाई को च्युडा चढ़ाकर, देती आशीर्वाद,
जीता रहे मेरा भय्या ओर रहे आबाद।

यही प्रथा भाई-बहन को इस दिन मिलाती है,
“यम द्वितीया" या फिर "भाई दूज" कहलाती है।

रचयिता
दीपा आर्य,
प्रधानाध्यापक,
रा0 प्रा0 वि0 लमगड़ा,
जनपद-अल्मोड़ा,
उत्तराखण्ड।


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