तितलियाँ

आज मेरे विद्यालय में उड़कर आयीं तितलियाँ।
बच्चे-बच्चे झूम उठे जब पंख फैलायीं तितलियाँ।             
आज मेरे विद्यालय में उड़कर आयीं तितलियाँ।
रंग-बिरंगी तितलियाँ सुन्दर-सुन्दर तितलियाँ।
सुन्दर फूलों पर बैठ मुस्काती प्यारी-प्यारी तितलियाँ।
आज मेरे विद्यालय में उड़कर आयीं तितलियाँ।
उड़-उड़कर पूरे विद्यालय का चक्कर लगाती तितलियाँ।
नन्हे पंखों की उड़ान से बच्चों को हर्षित करती तितलियाँ।
आज मेरे विद्यालय में उड़कर आयीं तितलियाँ।
दाएँ जातीं, बाएँ जातीं, ऊपर जातीं, नीचे आतीं।
पूरब जातीं, पश्चिम जातीं, उत्तर जातीं, दक्षिण जातीं
बार -बार फूलों पर आ जातीं।
आज मेरे विद्यालय में उड़कर आयीं तितलियाँ।
विद्यालय की शोभा खूब बढ़ातीं फूलों पर बैठी तितलियाँ।
बच्चों के पास आकर जल्दी से उड़ जाती तितलियाँ।
आज खुश होकर आयीं तितलियाँ
सबके मन को भायीं तितलियाँ।
आज मेरे विद्यालय मेंआयीं रंगबिरंगी तितलियाँ।
आज मेरे विद्यालय में उड़कर आयीं तितलियाँ।
आज मेरे विद्यालय में उड़कर आयीं तितलियाँ।।

रचयिता
अजय कुमार श्रीवास्तव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय टेवाँ प्रथम,
विकास खण्ड-मंझनपुर, 
जनपद-कौशाम्बी।।

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