पूछ रही हैं चाँद को

आज सुहागिन पूज रहीं हैं चाँद को
आज सुहागिन पूछ रहीं हैं चाँद को।

कहाँ छिपा रक्खा है विक्रम लैंडर को
आज बता दो, पूछ रहीं वो चाँद को।

तू तो देता लम्बी उम्र सुहाग को
विक्रम कैसे मरा, पूछ रहीं वो चाँद को।

बड़े जतन से हमने उसे बनाया था
कैसा है वो पूछ रहीं हैं चाँद को।

के. सिवेन की बात करा दो विक्रम से
आज सुहागिन करें निवेदन चाँद को।

बरसों की पूजा का मान न रक्खा रे
ख़ता हुई क्या, पूछ रहीं हैं चाँद को?

कितना करते प्यार यहाँ के लोग तुझे
क्यों तोड़ा दिल, पूछ रहीं हैं चाँद को?

जल्दी ही हम दूसरा विक्रम भेजेंगे
सभी सुहागिन बता रहीं हैं चाँद को।

अब मत ऐसा करना मेरे चाँद तू
यही निवेदन करतीं हम चाँद को।
     
रचयिता
अनार सिंह वर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय नगला गोदी,
जनपद-कासगंज।
972062564

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