हाँ हूँ मैं लड़की

हक है मुझे अपने सपनों को पूरा करने और देखने का
अधिकार है मुझे अपने सही गलत फैसले करने का
वर्चस्व रखती हूँ मैं स्वतंत्र रूप से जीने के लिए
हक है मुझे अपनी प्राथमिकताओं को पूरा करने का
स्वतंत्र हूँ मैं स्वच्छंद विचरण करने के लिए
अधिकार है मुझे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का
जिजीविषा की भावना रखती हूँ मैं इस संसार में
क्षमता है मुझमें अपने अंदर गहराइयों में छिपी हुनर को पहचानने का अस्तित्व है मेरा इस समाज में, स्वयं को सिद्ध करने का
रखती हूँ मैं हिम्मत अकेले दुनिया से लड़ने का
अधिकार है मुझे भी 'ना' कहने का
हाँ हूँ मैं लड़की,
मैं हर दर्द को सहने का दम रखती हूँ

रचयिता
आराधना कुशवाहा,
सहायक अध्यापक, 
प्राथमिक विद्यालय मोहरगंज, 
विकास खण्ड-चहनियां, 
जनपद-चन्दौली।

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