महिला सशक्तीकरण विशेषांक -169 ,कृष्ण कांता शर्मा,एटा

*👩‍👩‍👧‍👧महिला सशक्तीकरण विशेषांक-169*

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*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की बहनों की संघर्ष और सफ़लता की कहानी*
(दिनाँक- 08 अक्टूबर 2019)

नाम:-कृष्ण कांता शर्मा
पद-सेवानिवृत्त लिपिक
आवागढ़-एटा
*सफलता एवं संघर्ष की कहानी :-*
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अपनी मेहनत से पाई मंजिल:

श्रीमती कृष्ण कान्ता शर्मा गांव बरई कल्यानपुर थाना अवागढ़ जिला एटा की रहने वाली हैं। आपके ऊपर से पति का साया 18 दिसंबर-1981 को उठ गया था। उस जमाने में सन् 1983 में लखनऊ तक भागदौड़ करके बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में लिपिक के पद पर नौकरी हासिल की थी। गांव से ही वह अपनी नौकरी किया करती थीं। सुबह रोजाना 03 बजे उठकर पशुओं को चारा-पानी डालना, अपनी खेती-बाड़ी कराना आदि काम उनके दैनिक थे। उसके बाद रोजाना एटा के लिए अपनी नौकरी के लिए आना। फिर गांव जाना। उनका गांव से अवागढ़ और अवागढ़ से गांव तक आना-जाना पैदल ही होता था। आपके पति बेसिक शिक्षा विभाग में प्राथमिक विद्यालय नरौरा, अवागढ़ जिला एटा में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थे। उनको कैंसर होने के कारण असमय ही जाना पड़ा। उनके इलाज में सारी जमा पूंजी खर्च हो चुकी थी। उनकी मृत्यु के बाद घर चलाने के लिए धन की कमी हो चुकी थी। उन्होंने अपने बच्चे बड़ी मेहनत से पढ़ाए। उनके एक बड़ी लड़की बेबी जिनको एम.ए. तक शिक्षा प्राप्त कराकर उनकी शादी नागपुर में कर दी। इस समय उनके पति रेलवे में राजधानी एक्सप्रेस में गार्ड हैं। उनके बड़े बेटे योगेश शर्मा बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। उनके छोटे बेटे शैलेश शर्मा बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। उनके बेटों की दोनों बहुएं भी बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं।
वह अपनी नौकरी के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी लगी रहीं। सेवानिवृत्त के बाद भी उन्होंने किसान यूनियन में भागीदारी कर अधिकारियों के माध्यम से किसानों की समस्यायें सुलझाने का प्रयास किया। कई किसान आंदोलनों में हिस्सा लिया। किसानों की समस्याओं के लिए मथुरा से लेकर दिल्ली तक पूरी-पूरी रात पैदल मार्च भी किया। लेकिन हार नहीं मानी। आज 70 वर्ष की आयु में भी वह सुबह 4 बजे उठती हैं। एक गाय और एक भैंस भी रखती है। खुद ही 36 बीघा खेत करा रहीं हैं। उन्होंने 16 बीघा खेत से 36 बीघा खेत अपनी मेहनत से ही किया है। उनके बच्चों ने उनको अपने पास रखने की खूब कोशिश की। लेकिन उनको गांव का खुला वातावरण अच्छा लगता है। वह कहती हैं कि अगर मैं अपने बच्चों के पास शहर में रहने लगी तो बीमार पड़ जाऊंगी‌। मुझे काम करना अच्छा लगता है।

_✏संकलन_
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद।*

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