लौहपुरुष देश निर्माता

आज वह पावन दिन आया
जब माँ ने वह लाल था पाया।
गुजरात के खेड़ा जिले में
गरीब किसान ने पुत्र था पाया।
  धन की कमी न आड़े आयी
इंग्लैंड में वकालत की शिक्षा पायी 
  स्वतंत्र रहकर वकालत की थी
   अंग्रेजों की खिलाफत की थी।
किसानों पर विपत्ति थी आयी
जब अंग्रेजों ने लगान बढ़ायी।
जीती थी किसानों की लड़ाई
सरदार की उपाधि तब पायी।
    गांधी जी का साथ दिया था
    भारत छोड़ो आंदोलन किया था।
   अपनी दूरदर्शिता और कूटनीति से
   562 रियासतों को एक किया था।
आपसी मतभेदों की लड़ाई
अपनी सूझबूझ से मिटायी।
भारत के इस सच्चे सपूत से
एकता अखंडता थी पायी।
  युवा पीढ़ी को राह दिखाकर
   ऊँच- नीच का भेद मिटाकर।
  देश को एकता की राह दिखायी
  अंग्रेजों से आजादी पायी।
हैदराबाद और जूनागढ़ जोड़कर
माटी को एक सूत्र में पिरोकर।
एकता और अखंडता दिखायी
तब लौहपुरुष कि उपाधि भी पायी।
  मरणोपरांत 1991 में
 भारत रत्न सम्मान पाया
  31 अक्टूबर जन्म दिवस को
  एकता दिवस के रूप में मनाया।
182 मीटर की ऊँची
स्टेच्यू ऑफ यूनिटी बनी है
नर्मदा के सरदार सरोवर बाँध पर
इस मूर्ति की स्थापना हुई है।
   भारत गणराज्य के जनक
    अखंड भारत के निर्माता
   सबका साथ व जन - जन का विकास
वह लौहपुरुष है कहलाता।

रचयिता
अर्चना अरोड़ा,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बरेठर खुर्द,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फ़तेहपुर।

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