विषय- संस्कृत, प्रकरण- व्याकरण (क्रिया का परिचय) शीट क्रमांक -39/2025, दैनिक संस्कृत शिक्षण

क्रमांक- 39/2025

#दैनिक_संस्कृत_शिक्षण (अभ्यास कार्य)

दिनांक- 09/10/2025 

दिन- गुरुवार 

प्रकरण- #व्याकरण (क्रिया का परिचय)

अभ्यास कार्य

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अभ्यास कार्य (व्याकरण)-

संस्कृत में अनुवाद करने के लिए 'क्रिया' का परिचय-

क्रिया को संस्कृत में धातु कहते हैं। क्रिया का अर्थ है किसी काम का करना या होना। क्रियाएँ तो दस होती हैं, पाँच आत्मनेपद और पाँच परस्मैपद।

बच्चों हम लोग परस्मैपद की पाँच धातुओं को जानेंगे। सबसे पहले 'लट् लकार' (वर्तमान काल) को जानेंगे।

जो काम वर्तमान में हो रहा है,चल रहा है उसमें लट् लकार का प्रयोग होता है। लट् लकार की पहचान है, हिन्दी वाक्य के अन्त में ता है, ती है, ते हैं या रहा है, रही है, रहे हैं, आता है। जैसे- बालक पढ़ता है या बालक पढ़ रहा है। (बालकः पठति।)

बच्चों! आओ और अभ्यास करते हैं-

प्रथम पुरुष, पठ् धातु (पढ़ना) 

एकवचन       द्विवचन    बहुवचन 

पठति           पठतः      पठन्ति

'चल्' धातु  (चलना)

चलति   चलतः   चलन्ति

लिख् धातु (लिखना) लिखति  लिखतः लिखन्ति 


किसी भी धातु के अन्त में 

'अति', 'अतः', 'अन्ति' जोड़ देने से लट्लकार (वर्तमान काल) की धातु सरलता से  बन जाती है।

 चल् + अति = चलति

 चल् + अतः = चलतः

 चल् + अन्ति= चलन्ति 

 वचन में आपलोग पहले ही पढ़ चुके हैं कि एक वस्तु के लिए एकवचन ,दो के लिए द्विवचन और दो से अधिक के लिए बहुवचन का प्रयोग किया जाता है। कर्ता जिस पुरुष और वचन का होगा क्रिया भी वही प्रयोग की जाएगी। 


अभ्यास प्रश्न-

(क) धातु किसे कहते हैं?

(ख) वर्तमान काल के लिए किस लकार का प्रयोग होता है?

(ग) प्रथम पुरुष के तीनों वचन लिखो 

 लिख्-, वद्-, गम् (गच्छ्), पिब्

 (घ) खाली जगह भरो। 

1- हसति .......   हसन्ति। 

2- ...... गच्छतः  गच्छन्ति।

3- वदति   वदतः  .......।

4- ....... कुरुतः  कुर्वन्ति।

5- धावति.........धावन्ति।


तकनीकी सहयोगी एवं प्रमुख सहयोगी-

#जुगल_किशोर_त्रिपाठी #झाँसी

एवं

#माया_त्रिपाठी #भदोही


संकलन:-

#टीम_मिशन_शिक्षण_संवाद

#दैनिक_संस्कृत_शिक्षण


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