168/2025, बाल कहानी- 10 अक्टूबर


बाल कहानी - कबूतर और तोता
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एक जंगल में दो पक्षी कबूतर और तोता रहते थे। दोनों परम मित्र थे। कबूतर रोज खाना जुटाता था तो तोता पीने योग्य पानी की व्यवस्था करता था। एक दिन कबूतर बीमार पड़ गया। एक सप्ताह तक तोते को ही दोनों कार्य करने पड़े। जब कबूतर ठीक हो गया तो उसने तोते को बहुत धन्यवाद दिया और कहा कि, "आज मैं तुम्हारी सेवा से ही जीवित हूँ। जंगल में यहाँ कौन किसकी सहायता करता है! तुमने सिद्ध कर दिया कि तुम मेरे सच्चे मित्र हो।"
तोता बोला, "ऐसी कोई बात नहीं है। ये मेरा परम धर्म था।"
कबूतर बोला, "मैं जानता हूँ कि तुम्हें आम और बेर खाना बहुत पसन्द हैं। मैं कल से रोज तुम्हारे लिए बेर और आम लाया करुँगा, जब तक वह वृक्षों पर लगे रहेंगे।"
तोता बहुत खुश हुआ और उसने कहा, "मित्र! तुमको इस बारे में परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। बेर और आम तो मुझे सहज ही मिल जाते हैं। आप अभी कुछ दिन और आराम करें।"
इस प्रकार कबूतर और तोते की दोस्ती दिनों-दिन बढ़ती रही। दोनों एक-दूसरे की रुचियों का ध्यान रखते थे। सारे जंगल में उनकी दोस्ती की चर्चा फैल गयी। सभी पशु-पक्षी उनकी मित्रता को नमन करते थे।

#संस्कार_सन्देश -
मित्रता में हमें एक-दूसरे का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।

कहानीकार-
#जुगल_किशोर_त्रिपाठी (शि०मि०)
प्रा० वि० बम्हौरी (कम्पोजिट)
मऊरानीपुर, झाँसी (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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