170/2025, बाल कहानी- 13 अक्टूबर


बाल कहानी - आत्मरक्षा
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रिद्धि और सिद्धि दो बहने थीं। दोनों ही बहुत अच्छी दोस्त भी थीं। वे जहाँ कहीं भी जाती, साथ-साथ जाती थी और सदैव एक दोस्त की तरह एक दूसरे से सारी बातें शेयर भी किया करती थी। कभी भी कोई भी बात वह एक दूसरे से नहीं छिपाती थी। 
एक दिन की बात है, रिद्धि माँ के साथ गर्मियों की छुट्टी में मामा के घर जाती है लेकिन सिद्धि नहीं जाती है, क्योंकि उसका कुछ स्पेशल कोर्स करने का मन था। वह रिद्धि से भी कहती है कि, "तुम भी माँ के साथ मामा के घर मत जाओ और यहाँ पर रहकर कोर्स करते हैं।" लेकिन रिद्धि का मन मम्मी के साथ मामा के घर जाने का था, इसलिए रिद्धि अपनी मम्मी के साथ मामा के घर चली जाती है। इधर सिद्धि जूडो-कराटे का कोर्स ज्वाइन करती है और उसे उसमें बहुत मजा भी आता है। साथ ही साथ एक महीने के कोर्स में बहुत जल्द ही जूडो-कराटे में चैंपियन हो जाती है। अब कुछ ही समय में विद्यालय खुलने वाले होते हैं और रिद्धि भी घर आ जाती है। 
एक दिन दोनों स्कूल जा रही थी, तभी रास्ते में कुछ बदमाश लोग उनका पीछा करने लगते हैं। अब रिद्धि बहुत डर जाती है और वह इधर-उधर भागने लगती है। लेकिन वह बदमाश रिद्धि को पकड़ लेते हैं और उसे पकड़कर अपनी गाड़ी में बैठाकर ले जाने लगते हैं। तभी सिद्धि देखती है कि बदमाश रिद्धि को अपने साथ ले जा रहे हैं। जल्द ही रिद्धि को बचाने के लिए सिद्धि अपने जूडो-कराटे का कमाल दिखाने लगती है और हाथ-पैर दोनों के सहयोग से वह उन सभी बदमाशों के छक्के छुड़ा देती है और उनकी ही गाड़ी में रिद्धि को बैठाकर पुलिस स्टेशन पहुँच जाती है। 
सिद्धि पहले से ही बहुत होशियार तो थी और जल्द ही उसने गाड़ी चलाना भी सीख लिया था। जबकि अभी दोनों कक्षा दस की छात्रा थी। घर में गाड़ी चलाने की स्वीकृति नहीं थी, लेकिन उस दिन सिद्धि गाड़ी चलाकर पुलिस स्टेशन पहुँच जाती है और पुलिस को सारी बात बताती है। पुलिस मार्ग में जाकर उन बदमाशों को पकड़ लेती है। उन बदमाशों को पुलिस जेल में डालकर उन्हें आगे से ऐसा न करने के लिए सजा भी देती है। तब वह बदमाश समझ पाते हैं कि आजकल लड़कियों को पकड़ना इतना आसान नहीं है, जबकि दूसरा वाला साथी बदमाश कहता था कि, "लड़कियाँ सिर्फ रील बना पाती है और उन्हें कुछ भी नहीं आता है, न ही पकड़ लेने पर अपनी रक्षा कर सकती है।" 
लेकिन वह गलत था। आज उसे समझ में आ गया था कि लड़कियों को कमजोर समझना उसकी बहुत बड़ी भूल थी। पुलिस वाले से वह क्षमा माँगता है और भविष्य में ऐसा न करने और सही मार्ग पर चलने की सपथ लेता है।

#संस्कार_सन्देश - 
आज लड़कियाँ हर क्षेत्र में आगे बढ चुकी है और वह कभी भी समय पड़ने पर अपनी रक्षा भी कर सकती हैं। 

कहानीकार-
#अंजनी_अग्रवाल (स०अ०)
सरसौल, कानपुर नगर

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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