सिसोदिया वंश की शान: महाराणा प्रताप

सिसोदिया राजपूत राजवंश का था राजा,

जिसके शौर्य का हर तरफ बजता था बाजा।

वीरता, त्याग, धर्म प्रण के लिए थे अमर,

जिनके सर पर पराक्रम का ताज था साजा।।


9 मई 1540  कुंभलगढ़ में जन्म पाए,

उदय सिंह जयवंता बाई के मन बहुत हर्षाए।

दैदीप्यमान बालक पाकर पाली की धरती धन्य,

भीलों के साथ समय बिताया कीका कहलाए।।


28 फरवरी 1572 में गोगुंदा में राज्याभिषेक,

अकबर की अधीनता न स्वीकार करने वालों में एक।

हल्दीघाटी का ऐतिहासिक युद्ध इसका उदाहरण,

18 जून 1576 मुगलों से भयानक युद्ध हुआ एक।।


1582 में दिवेर के युद्ध में खोए राज्यों की प्राप्ति,

लंबे युद्ध "मेवाड़ के मैराथन" की घटना हुई घटित।

1585 में अकबर नाम के ग्रहण का हुआ अंत,

19 जनवरी 1597 नई राजधानी चावंड में इहलीला समाप्त।।


प्रताप की मृत्यु पर अकबर था बहुत दुखी,

उनके गुणों का प्रशंसक अकबर था अधोमुखी।

सच्चा राजपूत, शूरवीर, देशभक्त योद्धा था खोया,

मातृभूमि के रखवाले प्रताप का जीवन न रहा सुखी।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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