वाराणसी नामकरण दिवस

पौराणिक ग्रंथों में, एक सनातनी नगर है काशी,

हिन्दुओं के पवित्र, सप्तपुरियों में से एक काशी। 

प्राचीन वैदिक ग्रंथों, पुराणों में है उल्लेख,

लगभग 5000 वर्ष पूर्व स्थापित हुई काशी।।


 रेशमी कपड़े, मलमल, हाथी दाँत और इत्र,

 शिल्पकला का व्यापारिक स्थान है ये पवित्र।

वाराणसी में अनेक महान विभूतियों का हुआ जन्म,

संत कबीर, कीनाराम, लक्ष्मीबाई, रैदास को नमन।।

 

काशी नगर धार्मिक, शैक्षिक और, 

कलात्मक गतिविधियों का है केंद्र।

497 ई०पू०  गौतम बुद्ध काल में,

'वाराणसी' काशी क्षेत्र का बना केन्द्र।। 


गंगा-जमुनी तहजीब की है प्राचीन यह नगरी,

1910 ब्रिटिश काल में वाराणसी बना नगरी। 

रामनगर किला है, काशी नरेश का गृह स्थान, 

चुनार बलुआ पत्थर से बना, मुगल स्थापत्य जान।।


नक्काशीदार छज्जे, खुले प्रांगण, मंडप गुम्बददार,

चैत सिंह महल है, शिवाला घाट धरोहर शानदार।

काशी, बनारस और वाराणसी है इसके नाम,

24 मई 1956 को, 'वाराणसी' प्रशासनिक दिया नाम।।


पंचांग में  दर्ज  तिथि  है,  वैशाख  पूर्णिमा,

चन्द्रग्रहण का योग, तिथि थी बुद्ध पूर्णिमा।

हर-हर महादेव के उद्घोष से नमन है काशी,

सदा विराजे महादेव संग में, माँ अन्नपूर्णा।।


रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

Comments

Total Pageviews