बाल वाटिका

जहाँ पर चहके रोज चिरैया                    

  महके है वह गुलशन

   महक रही है बाल वाटिका

     चहक रहा है बचपन 


 नए गीत से नए राग से

  झूम रहा है तन-मन

   नाच - गाकर सीख रहा है

    अभिव्यक्ति को बचपन


    चार कोनों से सजा है कमरा              

    लगता जैसे मधुबन

    खेल खिलौने खेल खेलकर                

    अविष्कार करे है बचपन


   रंगों से रंग के हथेली

    चित्र बनाएँ अनुपम

     सात रंग के रंगों से अब 

      रंग गया है बचपन


   नहीं रहेगी अब बच्चे की

    पढ़ाई से अनबन

    शिक्षा हो गई सरल प्रक्रिया         

    सीख रहा है बचपन


रचयिता

संगीता गौतम जयाश्री,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐमा,

विकास खण्ड-सरसौल,

जनपद-कानपुर नगर।




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