अहिल्याबाई होल्कर

सुनो ओ भारतवासी, तुमको कथा सुनानी थी।

महाराष्ट्र में जन्मी थी वो, विदुषी थी, संज्ञानी थी।


नाम अहिल्या बाई उनका, अमृत उनकी वानी थी। 

थी स्वरूप वो इक देवी का, हर जन ने ये मानी थी।


संघर्षों में बचपन बीता, उनकी सौम्य जवानी थी।

शिव की सच्ची थीं उपासिका, वो हिन्दुत्व निशानी थी।


शुद्ध चरित्र की थीं स्वामिनी, मोहक छवि अति प्यारी थी।

सिंहासन पर जब वो बैठी, सुख सपने सब वारी थी।


सैन्य शक्ति में थी पारंगत, हर कौशल अपनाती थी।

घात लगाए बैठे अरि तो, रणचंडी बन जाती थी। 


सच्ची देवी थी न्याय की, हर मसले सुलझाती थी।

सूझबूझ से समझौतों से, सबमें सुलह कराती थी।


साथ श्वसुर पति ने जब छोड़ा, नहीं हौसला हारी थी।

देश प्रेम से ओत प्रोत वो, वीर बहादुर नारी थी। 


विश्व शांति का बिगुल बजाकर, नव पहचान बनाई थी।

कुशल राजनीतिक बनकर तुम, खुशी राज्य में लाई थी। 


पतिव्रत धर्म का पालन करती, बड़ी धैर्य शाली थी वो। 

दिखती कोमल नाजुक सी पर, बेहद बलशाली थी वो। 


थी महान राष्ट्र निर्मात्री, त्यागी थी, बलिदानी थी। 

यह थी उनकी गौरव गाथा, जन-जन को बतानी थी। 


रचयिता 
चारु मित्रा,
सहायक अध्यापक,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय गदपुरा,
विकास खण्ड-खंदौली, 
जनपद-आगरा।



Comments

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति मैम

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