भारत माँ का लाल-सुशील पहलवान

26 मई सन् 1983 को,

जन्मा था एक लाल।

कुश्ती खेल के क्षेत्र में,

जिसने दिखाये कमाल।


सतपाल पहलवान जी को,

गुरु रुप में किया स्वीकार। 

अर्जुन पुरस्कार पाकर सुशील ने,

गुरु-दक्षिणा में दिया उनको उपहार।।


कमला देवी और दीवान सिंह,

दम्पति के घर जन्म था इसने पाया।

दो बार राष्ट्रमंडल खेलों में ये, 

स्वर्ण पदक था लाया।।

 

लगातार दो ओलंपिक मुकाबलों में,

व्यक्तिगत पदक जीतकर।

प्रथम भारतीय खिलाड़ी होने का,

गौरव भी इन्होंने ही था पाया।।


रचयिता 

ब्रजेश सिंह,

सहायक  अध्यापक, 

प्राथमिक विद्यालय बीठना, 

विकास खण्ड-लोधा,

जनपद-अलीगढ़।

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