बुद्धोपदेश

जीत लिया जिसने खुद को,

बुद्ध वही कहलाया है।

सच जीवन का जाना जिसने,

सुख सारे जहां का पाया है।


सूर्य, चाँद कभी छिपा नहीं,

सच कोई छिपा ना पाया है।

सदा आज नहीं तो कल प्यारे,

सच सामने सबके आया है।


तन-मन जिसने शुद्ध किया,

प्रबुद्ध वही बन पाया है।

प्रेम, दया और करुणा से,

सारे जग में प्रेम बरसाया है।


तोड़ा जिसने मोह का बन्धन,

उसने सबको अपनाया है।

संस्कार, संयम, सदाचार से,

उसने जग में नाम कमाया है।


धोखेबाज ना मित्र बनाओ,

ये बुद्ध ने हमको समझाया है।

सोच समझ जो करे फैसले,

कभी ना वो पछताया है।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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