बरखा आई

बरखा आई, बरखा आई।
रिमझिम करती बरखा आई।
झूम झूमकर बरखा में,
प्यारी चींटी खूब नहाई।
चींटी को फिर हुआ जुकाम,
माँ ने उसको दिया बादाम।
साथ में माँ ने डाँट लगाई।
बरखा में तुम क्यों नहाई?
चींटी बोली छोड़ो माँई,
हमको बरखा बहुत ही भाई।
बरखा आई, बरखा आई।
फिर प्यारी चींटी कहीं जाकर
दाने लेकर आई।
दाने बोकर उसने
सुन्दर फसल उगाई।।
फसल को बढ़ता देखकर
चींटी की माँ खूब हर्षाई।
चींटी हमसे कहती,
मेहनत करना सीखो।
मेहनत का फल,
सबसे मीठा होता भाई।।
बरखा आई, बरखा आई।
रिमझिम करती बरखा आई।

रचयिता
ममता शर्मा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय खजुरियाना, 
विकास खण्ड-जैथरा,
जनपद-एटा।

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