माह जुलाई

आई भाई माह जुलाई,
ग्रीष्म ऋतु की हुई विदाई।
वर्षा रानी ली अंगड़ाई,
धूल गई कीचड़ मुस्काई
लू ने ऐसी करवट बदली,
शीतल मंद हवा पुरवाई।
आई भाई माह-जुलाई।।

          वृक्ष, बाग, वन हरित हो गये,
          आम, नीम रस जनित हो गये।
          कीट-पतंगों की सभा लगी अब,
          जुगनू भी प्रज्ज्वलित हो गये।
          मीन, भेक, स्नेक की चली सगाई,
         आई भाई माह जुलाई

बीज केन्द्र सब व्यस्त हो गये,
ट्रैक्टर चालक पस्त हो गये।
कर-कर के दिन रात जुताई,
मक्के, दलहन की हो चली बुवाई।
आई भाई माह जुलाई ।

         सान्डे भी अब मुखर हो गये,
         दंठल, पत्ती प्रखर हो गये
         कुछ दिन में ही होगी रोपाई,
         आई भाई माह जुलाई।

रचयिता
विजय मेहंदी,
सहायक अध्यापक,
KPS(E.M.School)Shudanipur, Madiyahu,
जनपद-जौनपुर।

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