महिला सशक्तीकरण विशेषांक- 114,मनु श्रीवास्तव ,कानपुर देहात


*👩‍👩‍👧‍👧महिला सशक्तीकरण विशेषांक- 114*

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*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की बहनों की संघर्ष और सफ़लता की कहानी*


(दिनाँक- 25 जून 2019)
नाम मनु श्रीवास्तव
पद- प्रधानाध्यापक
विद्यालय --प्राथमिक विद्यालय नाथ का पुरवा ,विकास खंड - सरवनखेडा़,
जनपद -कानपुर देहात।

*सफलता एवं संघर्ष की कहानी :-*
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प्रथम नियुक्ति तिथि -14 फरवरी 2009मेरी नियुक्ति 05 मई  2016 को पदोन्नति के फलस्वरुप वर्तमान विद्यालय में प्रधानाध्यापक  के  पद पर कार्यभार ग्रहण  किया । यह ग्राम  जनसंख्या तथा क्षेत्रफल   की  दृष्टि से बहुत ही  छोटा हैं। ग्राम की  समस्त आबादी  मुस्लिम समुदाय से है। केवल वर्ग विशेष की समस्त आबादी के कारण तथा उनके स्वयं अधिक  शिक्षित न होने  के कारण वे स्वयं शिक्षा को अधिक महत्व नहीं  देते  थे। बच्चे यदि विद्यालय आना  भी  चाहे तो  परिवार उन्हें प्रोत्साहन  प्रदान नहीं करता था।आरंभ में अभिभावको का असहयोग  अत्यंत  ही व्यथित  करता था परंतु  लगातार  उनके  बीच  में  जाते रहने से और जो बच्चे नियमित उपस्थिति  रहते थे  उनके अपने  अभिभावको तथा पडो़सियो के  समक्ष  प्रदर्शन ने  अन्य  लोगों को प्रेरित किया और  यह परिवर्तन आतंरिक  परिवर्तन  हैं  क्योंकि मेरे लगातार  कहने से शायद  वह लोग शिक्षित व अशिक्षित के  भेद को इतनी  गंभीरता  से  नहीं  महसूस  करते  जिस  तरह  से  उन्हें आज महसूस  होती हैं अब विदयालय  खुलते  ही  मुझे  उन्हें  बुलाने नहीं  जाना  पड़ता  बल्कि  उनका  परिवार  उन्हें  स्वयं ही  भेजता है ।मेरे  लिए यही  बात  सबसे ज्यादा  महत्वपूर्ण हैं ।   मैने अपने विद्यालय में निम्न कार्य /प्रयास  किये
प्रतिदिन प्रेरणादायी  प्रार्थना  सभा।  जिसमें  सामाजिक तथा व्यवहारिक बातो  की जानकारी देना । प्रतिदिन  कुछ  समय  बच्चो  के  साथ संवाद करना  जिसमें  उनके  ग्राम, परिवार, पड़ोस , मौसम,आसपास  की  कोई  घटना  कोई भी  बिंदु  जिससे मेरी कक्षा का  वातावरण  सहज तथा स्वभाविक रहे। खेल खेल  में शिक्षा तथा  खेल सामग्री की व्यवस्था विद्यालय  का विद्युतीकरण  तथा सौंदर्यीकरण बच्चो में अनुशासन तथा जिम्मेदारी का भाव  पैदा  करने के लिए उनके कार्यो  का विभाजन  किया तथा जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन करना भी सिखाया।

_✏संकलन_
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद।*

Comments

  1. बहुत खूब मैम लगभग ऐसी ही स्थिति मेरे विद्यालय की है और आधारभूत संसाधनों का अभाव होते हुए भी बच्चे स्वाभाविक रूप से ही खिंचे चले आते हैं 🙏🙏💐

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