मेरे भगवान

मुझे इस दुनिया में लाया,
मुझे बोलना, चलना सिखाया।
हे! मात-पिता तुम्हें वंदन
मैंने किस्मत से तुम्हें पाया।।

मैं जब से जग में आया,
बने तब से शीतल छाया।
कभी सहलाया गोदी में,
कभी कंधों पे बिठाया।।

मेरे सर पे हाथ रखकर,
बस प्यार ही प्यार लुटाया।
हे! मात पिता तुम्हें वंदन,
मैंने किस्मत से तुम्हें पाया।।

मैं सर उठाकर चल पाऊँ,
इस लायक तुमने किया है।
कभी हाथ नहीं फैलाऊँ,
मुझको इतना दिया है।।

मुझे जग की रीति सिखाई,
मुझे धर्म का पाठ पढ़ाया।
हे! मात पिता तुम्हें वंदन,
मैंने किस्मत से तुम्हें पाया।।

माँ-बाप की आंखों से मैं,
आँसू बनकर न गिरूँगा।
माँ-बाप का दिल जो दुखा दे
मैं ऐसा कुछ न करूँगा।।

माँ-बाप के रूप में,
भगवान को जैसे पाया।
हे! मात-पिता तुम्हें वंदन,
मैंने किस्मत से तुम्हें पाया।।

जब देव भी मात-पिता का,
उपकार चुका न पाए।
न शब्द हैं इस पृथ्वी पर,
किन शब्दों में गुण गाएँ।।

मैं फर्ज़ निभा पाऊँ तो,
समझूँ अंश चुकाया।
हे! मात-पिता तुम्हें वंदन,
मैंने किस्मत से तुम्हें पाया।।
             
रचनाकार
पूजा दुबे,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बिहारा-1,
विकास क्षेत्र व जनपद-चित्रकूट।

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